वर्ष नूतन हर्ष नूतन, नित्य हो उत्कर्ष नूतन ।।
स्वार्थ से परमार्थ पथ पर, फिर करें वो विमर्श नूतन ।।
स्वास्थ्य हो, सद् बुद्धि हो और हो सदा उत्साह नूतन ।
लक्ष्य प्रति जीवन समर्पित, फिर भरें वो प्रवाह नूतन ।।
गुरु शरण में प्रबल तप और वेग बल वैराग्य नूतन ।
साधना के पांव चलकर, मन सहित हो तन भी नूतन ।।
जग छलावा चक्र गति, एक आत्मा है सदैव नूतन ।
तथ्य यह पहचान कर हो योग युक्ति तथैव नूतन ।।
कर रहे शुभकामना नववर्ष में नित हर्ष नूतन ।
स्वार्थ से परमार्थ पथ पर, मिल करें वो विमर्श नूतन ।।
स्वामी सूर्येन्दु पुरी